महाभारत में जीवन को सुखी और सफल बनाने के कई सूत्र छिपे हैं। अगर इन संसाधनों को जीवन में उतारा जाए तो कई समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। महाभारत में दुर्योधन और उसके सभी कौरव भाई पांडव भाइयों को दुश्मन मानते थे।
कौरवों ने पांडवों को खत्म करने के लिए कई तरह के षड्यंत्र रचे, लेकिन असफल रहे। एक दिन कौरवों की सभा चल रही थी। उस बैठक में शकुनि ने अपनी कूटनीति बताई
शकुनि ने कहा कि जब तक कृष्ण और बलराम पांडवों के साथ हैं। तब तक उन्हें सामने से खत्म नहीं किया जा सकता। हमें जब भी मौका मिले दुश्मनों को मारना चाहिए। पांडवों को खत्म करना होगा, या एक दिन कौरवों द्वारा पांडवों को पराजित किया जाएगा। जब कृष्ण और बलराम पांडवों के आसपास न हों तो सभी पांचों भाइयों को एक ही बार में मार दिया जाना चाहिए। कौरवों की सभा में कौरवों के मामा सोमदत्त के पुत्र भूरिश्व भी उपस्थित थे। (भूरिश्व महाभारत युद्ध में भीष्म के 11 सेनापतियों में से एक थे। युद्ध के 14 वें दिन अर्जुन ने भूरिश्व को मार डाला।) जब भूरिश्व ने शकुनी की बातें सुनीं, तो उन्होंने कहा कि इस समय पांडवों के पास सक्षम मित्र और खजाना दोनों थे। उसके साथ अनेक बड़े-बड़े राजा हैं, वह स्वयं बड़ा बलशाली है। ऐसी स्थिति में गलत नीति न बताएं। छल से उन्हें मारना भी संभव नहीं है। बैठक में किसी ने भी भूरिश्व की सलाह नहीं मानी, लेकिन शकुनि की बात मान ली।
जीवन प्रबंधन :- परिवार में जब भी कोई हमें अच्छी सलाह दे तो हमें उसे मान लेना चाहिए। कई बार हमें किसी की सही सलाह पसंद नहीं आती। चूँकि भूरिश्व की सलाह कौरवों को पसंद नहीं थी और उन्होंने उस सलाह को नहीं माना, इससे पूरे कौरव वंश का अंत हो गया। भले ही किसी की सलाह हमें चुभे, लेकिन अगर वह सच हो तो उसे मान लेना चाहिए।