अगर कमाई का बड़ा मौका नहीं गंवाना चाहते हैं तो अपनी जेब में पैसा बचाकर रखिये, क्योंकि जल्द ही देश के सबसे बड़े ग्रुप टाटा के एक नहीं बल्कि दो-दो आईपीओ आने वाले हैं. 18 साल के बाद टाटा ग्रुप की कंपनीज शेयर बाजार में लिस्टिंग के लिए आ रही हैं. सेबी ने टाटा प्ले के प्रस्तावित आईपीओ को हरी झंडी दे दी है. टाटा ग्रुप की फर्म भारत की पहली कंपनी है जिसने आईपीओ के लिए मार्केट रेगुलेटर के पास गोपनीय दस्तावेज दाखिल किए हैं. सेबी ने 26 अप्रैल को कंपनी के की ओर से दाखिल किए गए डॉक्यूमेंट्स पर ऑब्जर्वेशन लेटर जारी किया था. आपको बता दें टाटा प्ले करीब दो दशकों में आईपीओ लाने वाली ग्रुप की पहली कंपनी बन सकती है.
टाटा टेक्नोलॉजीज का भी आएगा आईपीओ
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि टाटा संस और द वॉल्ट डिज्नी की ज्वाइंट वेंचर टाटा प्ले आईपीओ से लगभग 3,000 करोड़ रुपये हासिल करने का प्रयास कर रही है. दूसरी ओर टाटा टेक्नोलॉजीज भी अपना आईपीओ लेकर आ रही है. कंपनी ने मार्च में अपना डीआरएचपी दाखिल किया था. कंपनी इसके सेबी से मंजूरी मिलने का इंतजार है. टाटा ग्रुप इस आईपीओ के थ्रू 4,000 करोड़ का जुगाड़ करने का प्रयास करेगी.
आखिर क्या है नियम
ऑब्जर्वेशन लेटर जारी होने के बाद, टाटा प्ले को अब आईपीओ लॉन्च करने से पहले एक अपडेटेड ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस दाखिल करना होगा. अपडेटिड डीआरएचपी में सेबी द्वारा जारी की गई ऑब्जर्वेशन को शामिल करना होगा और जनता के लिए उपलब्ध कराना होगा. तथाकथित गोपनीय फाइलिंग या प्री-फाइलिंग रूट के तहत, एक अन लिस्टिड कंपनी को अपने प्रस्ताव दस्तावेज को तब तक निजी रखने की अनुमति है जब तक कि वह अपनी आईपीओ योजना को पूरा नहीं कर लेती. नियमों के मुताबिक, कंपनी को रेगुलेटरी अप्रूवल के 16 महीने के भीतर अपडेटेड डीआरएचपी फाइल करनी होगी, जिसकी वैलिडिटी 18 महीने है. डायरेक्ट-टू-होम प्लेटफॉर्म ने गोपनीय रूट की शुरुआत के एक महीने बाद 29 नवंबर को सेबी के साथ गोपनीय रूप से अपना डीआरएचपी प्री-फाइल किया था.