हर साल बड़ी धूमधाम से ‘जगन्नाथ रथ यात्रा’ निकाली जाती है, जिसमें देश-दुनिया के कोने-कोने से लोग हिस्सा लेने आते हैं. इस बार भगवान जगन्नाथ की 146वीं रथ यात्रा निकाली जा रही है. ओडिशा के पुरी शहर में लाखों की संख्या में लोग पहुंच चुके हैं. यह वैष्णव मंदिर श्री हरि के पूर्ण अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है। मंदिर के गर्भगृह में साल भर उनकी पूजा की जाती है, लेकिन आषाढ़ के महीने में उन्हें तीन किलोमीटर की अलौकिक रथ यात्रा से गुंडिचा मंदिर लाया जाता है।
कई लोगों के मन में अक्सर यह सवाल आता है कि जगन्नाथ रथ यात्रा क्यों निकाली जाती है और इसका क्या महत्व है। इस लेख में हम आपको इसके बारे में बताएंगे। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा अपने मामा के घर जाते हैं। पुरी के जगन्नाथ मंदिर से तीन दिव्य रथों पर रथ यात्रा निकाली जाती है। आगे बलभद्र का रथ, पीछे बहन सुभद्रा और पीछे जगन्नाथ का रथ होता है। इस साल जगन्नाथ यात्रा 20 जून से शुरू होकर 1 जुलाई को समाप्त होगी।
क्यों निकाली जाती है रथ यात्रा?
पद्म पुराण के अनुसार एक बार भगवान जगन्नाथ की बहन ने इस नगर को देखने की इच्छा प्रकट की थी। तब जगन्नाथ और बलभद्र अपनी प्यारी बहन सुभद्रा को रथ पर बिठाकर उसे नगर दिखाने गए। इस बीच वह अपनी मौसी के घर गुंडिचा भी चला गया और सात दिनों तक यहीं रहा।
तभी से जगन्नाथ यात्रा की परंपरा चली आ रही है। इसका उल्लेख नारद पुराण और ब्रह्म पुराण में भी मिलता है। मान्यताओं के अनुसार भगवान अपनी मौसी के घर भाई-बहनों के साथ कई तरह के पकवान खाते हैं और फिर बीमार पड़ जाते हैं। उसके बाद उनका इलाज किया जाता है और फिर ठीक होने के बाद ही वह लोगों को दर्शन देते हैं।
जगन्नाथ रथ यात्रा 2023: समय और पूरा कार्यक्रम
20 जून, 2023 (मंगलवार): जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू (गुंडिचा आंटी के घर जाने की परंपरा)
24 जून, 2023 (शनिवार): हेरा पंचमी (पहले पांच दिन भगवान गुंडिचा मंदिर में रहते हैं)
27 जून 2023 (मंगलवार) : संध्या दर्शन (इस दिन जगन्नाथ के दर्शन करने से 10 वर्ष तक श्री हरि की पूजा करने का फल मिलता है)
28 जून, 2023 (बुधवार): बहुदा यात्रा (भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और बहन सुभद्रा का गृहनगर)
29 जून 2023 (गुरुवार): सुनाबेसा (भगवान जगन्नाथ मंदिर लौटने के बाद अपने भाई-बहनों के साथ शाही रूप ग्रहण करते हैं)
30 जून, 2023 (शुक्रवार): आधार पान (आषाढ़ शुक्ल द्वादशी को एक विशेष पेय दिव्य रथ पर चढ़ाया जाता है। इसे पान कहा जाता है जो दूध, पनीर, चीनी और सूखे मेवों से बनाया जाता है)