शिवजी के सामने बैठने वाला नंदी बदल सकता है आपका भाग्य, विश्वास न हो तो ॐ नमः शिवाय लिखकर शेयर करें…
दोस्तों हमारे भारत देश में आमतौर पर विभिन्न प्रकार के देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। जिनमें सबसे ज्यादा भक्तों की बात की जाए तो शिवजी के भक्त सबसे ज्यादा…
क्योंकि शिवजी अपने भक्तों को शीघ्र प्रसन्न करने वाले देवता हैं। जब आप शिवजी के मंदिर में जाते हैं तो आपको उनके मंदिर के बाहर एक नंदी बैठे मिलते हैं,
इसके पीछे का कारण यह नहीं है कि शिवजी की सवारी नंदी है बल्कि इसके पीछे का रहस्य बहुत ही अलग है। जिसके कारण शिवजी के हर मंदिर के बाहर नंदीजी विराजमान हैं।
दरअसल, शीलाद मुनि ने इंद्रदेव से जन्म और मृत्यु के साथ संतान यानी अमरता का वरदान मांगा था। जिसके बाद उन्होंने तपस्या करके इंद्रदेव को भी प्रसन्न किया लेकिन भगवान इंद्र उन्हें यह वरदान देने में असमर्थ थे और उन्होंने भगवान शिव से उन्हें प्रसन्न करने के लिए कहा।
जिसके बाद शीला दमुनि ने भी तपस्या कर शिवजी को प्रसन्न किया। जिसके बाद स्वयं शिव ने भी शीलाद मुनि के पुत्र रूप में प्रकट होने का वरदान दिया था और वे नंदी के रूप में प्रकट हुए थे। जिसके बाद शिवजी के वरदान से ही नंदी मृत्यु और जन्म के द्वारा अमर हो गए।
इसके बाद, गणेश के स्वामी के रूप में वेदों के समक्ष नंदी का भी अभिषेक किया गया और नंदी को नंदीश्वर के रूप में जाना जाने लगा।
भगवान शिव ने नंदी को वरदान भी दिया था कि यदि वे स्वयं वहां रहेंगे तो तुम भी वहां निवास करोगे। यही कारण है कि भगवान शिव के प्रत्येक मंदिर के बाहर नंदी की स्थापना की जाती है।
आपको बता दें कि नंदी को सिर्फ शिवजी की सवारी ही नहीं दी जाती बल्कि शिवजी के बहुत बड़े भक्त भी माने जाते हैं। वास्तव में समुद्र मंथन के दौरान जो भी विष निकला था, उसे शिवजी ने पी लिया था लेकिन कुछ छींटे नीचे गिरे थे। इन छींटों को नंदी ने अपनी जीभ से साफ किया था। महादेव इस समर्पण को देखकर प्रसन्न हुए और नंदी को सबसे बड़े भक्त की उपाधि दी।
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