Friday, April 26, 2024

अब मादाओं की जरूरत नहीं, वैज्ञानिकों ने नर के शुक्राणुओं से बनाए अंडे.. इसने चूहों को जन्म दिया…

बच्चे के जन्म के लिए क्या जरूरी है? एक नर और एक मादा। प्रकृति में जीवों की अधिकांश प्रजातियों के पास है। नर के शुक्राणु और मादा के अंडे मिलकर भ्रूण का निर्माण करते हैं। कुछ समय बाद बच्चे का जन्म होता है। लेकिन, वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक ईजाद की है, जिससे अब मां को बच्चों को जन्म देने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

हाल ही में वैज्ञानिकों ने दो नर चूहों के शरीर से कोशिकाएं निकाली और उनसे अंडे बनाए। उसके बाद चूहे के शुक्राणु और अंडे को मिलाकर एक चूहे का जन्म हुआ। यानी यह भविष्य में बच्चों के लिए फायदेमंद है। इसलिए अगर कोई व्यक्ति अकेले बच्चे को पालना चाहता है तो वह ऐसा कर सकता है। इसके अलावा समलैंगिकों को भी इसका फायदा मिल सकता है।

साथ ही उन महिलाओं को भी भावी मातृत्व से मुक्ति मिलेगी, जिनका स्वास्थ्य उन्हें गर्भ धारण करने की अनुमति नहीं देता है। या उन लोगों के लिए जो नपुंसकता से पीड़ित हैं। कुल मिलाकर इस तकनीक से प्रजनन संबंधी बीमारियों के इलाज में आसानी होगी। समलैंगिक जोड़े का अपना जैविक बच्चा होगा।

10 साल बाद पैदा होगा इंसान का बच्चा :जापान में क्यूशू यूनिवर्सिटी के आविष्कारक कात्सुहिको हयाशी ने कहा कि उन्होंने और उनकी टीम ने पहली बार स्तनधारी यूएससाइट्स बनाए हैं। वह भी पुरुष कोशिकाओं से। कात्सुहिको हयाशी कृत्रिम शुक्राणु और अंडे बनाने के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। उन्होंने 7 मार्च को लंदन में इंटरनेशनल समिट ऑन ह्यूमन जीनोम एडिटिंग में रिपोर्ट पेश की।

कात्सुहिको हयाशी ने कहा कि हमने नर चूहों की कोशिकाओं से अंडे बनाए। लेकिन पुरुष की कोशिकाओं से अंडा तैयार करने में अभी एक दशक और लगेगा। भविष्य में हम लैब में नर अंडे बनाएंगे। लेकिन महिला प्रकोष्ठ बनने में अभी काफी समय लगेगा। जो चूहा अब बन गया है उसके दो बाप हैं। यानी दो जैविक पिता। जिसने उसे जन्म दिया।

पुरुष कोशिकाओं पर शुरू हुआ प्रयो:
कट्सुहिको हयाशी और उनकी टीम ने अब इस प्रयोग को पुरुष कोशिकाओं के साथ करना शुरू किया है। हयाशी का कहना है कि तकनीकी तौर पर बिना मादा यानी महिला की मदद के नर कोशिकाओं से बच्चा पैदा करने में 10 साल और लग सकते हैं। इसे नैदानिक ​​रूप से सुरक्षित बनाने में समय लगेगा। यदि यह खोज सफल होती है तो न केवल विज्ञान को लाभ होगा बल्कि समाज को भी लाभ होगा।

इस तकनीक से भविष्य में टर्नर सिंड्रोम से पीड़ित महिलाओं के इलाज में भी मदद मिलेगी। यानी जिसके शरीर में एक्स क्रोमोसोम की एक प्रति गायब है। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के डीन प्रोफेसर जॉर्ज डैली ने कहा कि हयाशी की तकनीक कमाल की है। लेकिन लैब में पुरुष कोशिकाओं से अंडे बनाना आसान नहीं होगा. यह चूहों में आसान है। क्योंकि वैज्ञानिक अभी तक मनुष्यों के लिए विशिष्ट युग्मकजनन की प्रक्रिया को नहीं समझ पाए हैं।

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