Friday, April 26, 2024

चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा को विक्रम नव संवत सहित 5 पर्व मनाए जाते हैं…

बुधवार यानी 22 मार्च को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा (गुड़ी पड़वा) है। इस दिन चैत्री नवरात्रि की शुरुआत होगी। नव संवत 2080 हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रारंभ होगा। भगवान ब्रह्मा ने इस तिथि पर ब्रह्मांड का निर्माण किया था। भगवान विष्णु ने इसी दिन अपना पहला अवतार मत्स्य अवतार लिया था। इन चारों पर्वों के साथ ही इस दिन भगवान झूलेलाल की जयंती भी मनाई जाती है।

जानिए उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा से…:

चैत्र नवरात्रि यानी नौ दिनों तक देवी की पूजा- यह देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का विशेष पर्व है। इस नवरात्रि के संबंध में मान्यता है कि प्राचीन काल में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध करने के लिए नौ रूपों में स्वयं को प्रकट किया था। सभी देवताओं ने देवी को अलग-अलग शक्तियां और अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए। पूरी प्रक्रिया में नौ दिन लगे। इसी मान्यता के कारण चैत्र शुक्ल पक्ष में नौ दिनों तक देवी की पूजा की जाती है। इसके बाद देवी ने सौ महीने में महिषासुर का वध कर दिया। देवी ने नौ दिनों तक महिषासुर से युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध कर दिया। इसलिए असो मास में भी नौ दिनों तक नवरात्रि मनाई जाती है।

ब्रह्मा ने इसी दिन सृष्टि की रचना की थी:

मान्यता के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को ब्रह्माजी ने भगवान शिव की इच्छा से सृष्टि की रचना की थी। भगवान विष्णु ने ब्रह्मांड में जीवन का संचार किया। शिवजी, विष्णुजी और ब्रह्माजी, तीनों देवता अलग-अलग भूमिका निभाते हैं और ब्रह्मांड पर शासन करते हैं।

भगवान विष्णु ने मछली का रूप धारण किया:

भगवान विष्णु ने अपना पहला अवतार मस्त्य यानी मछली के रूप में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही लिया था। उस समय विष्णुजी ने राजा मनु का अहंकार तोड़ा और समस्त प्राणियों तथा वेदों की रक्षा की।

विक्रम नव संवत 2080 शुरू होगा;

हिन्दू पंचांग का नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ होता है। जिसे विक्रम संवत कहा जाता है। राजा विक्रमादित्य ने इसकी शुरुआत की थी, इसलिए इसे विक्रम संवत के नाम से जाना जाता है।

भगवान झूलेलाल ने धर्म और प्रजा की रक्षा की:

किवदंती के अनुसार प्राचीन काल में सिंध प्रांत में मिरखशाह नाम का एक मुगल बादशाह राज करता था। वह लोगों को इस्लाम कबूल करने के लिए मजबूर करता था। उस समय झूलेलालजी का जन्म हुआ और उन्होंने मिरखशाह से प्रजा और धर्म की रक्षा की। झूलेलालजी का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को हुआ था।

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