Saturday, May 18, 2024

22 जनवरी को हो सकती है रामलला की प्राण प्रतिष्ठा…..

अयोध्या। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अगले वर्ष 22 जनवरी को रामलला को स्थायी गर्भगृह में प्रतिष्ठित करने की तिथि निर्धारित की है। यह जानकारी ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने गुरुवार को साझा की। वह होटल क्रिनौस्को में उत्तर प्रदेश सराफा मंडल एसोसिएशन के प्रांतीय अधिवेशन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहाकि स्थायी गर्भगृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर पूर्व में कई तिथियों पर विचार हुआ, लेकिन अंतत: कई चरणों में विचार-विमर्श के उपरांत 22 जनवरी 2024 को यह अनुष्ठान पूर्ण कराया जाना प्रस्तावित किया गया है।

इस तिथि को दृष्टिगत रखते हुए अक्टूबर तक रामलला की मूर्ति तथा इससे पूर्व सितंबर तक गर्भगृह का निर्माण पूर्ण कर लेने का लक्ष्य रखा गया है। गर्भगृह के निर्माण में मकराना मार्बल का उपयोग हो रहा है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि चंपतराय ने आयोजन में आए सराफा व्यापारियों के समक्ष मंदिर निर्माण की प्रक्रिया साझा की। उन्होंने कहाकि भूतल पर सिर्फ रामलला विराजमान होंगे।

प्रथम तल पर राम दरबार होगा, जबकि द्वितीय तल खाली होगा, जिसकी उपयोगिता मंदिर की ऊंचाई के लिए होगी। उन्होंने बताया कि शिखर, आसन, दरवाजा में स्वर्ण का उपयोग भी किया जाएगा। गर्भगृह तक पहुंचने के लिए 34 सीढ़ियां बनाई गईं हैं। इससे पूर्व उत्तर प्रदेश सर्राफा एसोसिएशन के अध्यक्ष महेशचंद्र जैन ने चंपतराय का माल्यार्पण कर अभिनंदन किया और मंदिर संबंधी जानकारियां उपलब्ध कराने के लिए उनका आभार ज्ञापित किया।

पांच मिनट रामलला के मस्तक पर रहेगा सूर्य तिलक

चंपतराय ने कहाकि रामलला की मूर्ति अयोध्या में ही बनेगी। यह प्रतिमा पांच वर्ष के बालक की होगी। रामनवमी पर रामलला के मस्तक पर सूर्य किरणों का तिलक हो सके इसके लिए वैज्ञानिकों की टीम अपना कार्य लगभग पूर्ण कर चुकी हैं। इसकी देखरेख स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कर रहे हैं। पांच मिनट तक रामलला के ललाट पर सूर्य की किरणें रहें, इसे सूर्य तिलक नाम दिया गया है। यह प्रयोग लगभग सफल हो गया है। चंपतराय ने कहाकि रामलला को प्रतिदिन नया वस्त्र पहनाया जाता है। पुराने कपड़े शगुन के तौर पर लोग मांगते हैं और उन्हें उपलब्ध कराया जाता है।

श्रद्धालुओं की सुविधा का भी रखा ध्यान

श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए तीर्थ यात्री सेवा केंद्र बनाया जा रहा है। पहले चरण में बन रहे केंद्र में 25 हजार यात्री अपनी पेन, पर्स, बेल्ट, मोबाइल व मंदिर में प्रवेश के लिए प्रतिबंधित अन्य वस्तुएं सुरक्षित रख सकेंगे। वृद्ध एवं दिव्यांग श्रद्धालुओं के लिए रैंप एवं तीन लिफ्ट भी होंगी। इसके अतिरिक्त दो सीवर ट्रीटमेंट प्लांट बनेंगे। परिसर में पर्यावरण संरक्षण का भी ध्यान रखा गया है। परिसर में 70 प्रतिशत ओपेन एरिया रखा गया है।

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