मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को अक्सर अपनी पर्सनल लाइफ से जुड़े कई खुलासों को आमतौर पर शेयर करते हुए कम देखा गया है, लेकिन उन्होंने अपनी रकिताब प्लेइंग इट माई वे में पूरी जिंदगी के उन किस्सों को खुलकर बताया है, जिसे बेहद ही कम लोग जानते है।
ऐसे में सचिन के 50वें जन्मदिन पर हम आज आपको एक ऐसा ही किस्सा बता रहे हैं, जब बचपन में अपनी एक जिद को लेकर सचिन बालकनी से कूदने को तक तैयार हो उठे थे।
दरअसल, क्रिकेट के भगवान कह जाने वाले सचिन तेंदुलकर बचपन में अपने शौक पूरे करने के लिए काफी जिद किया करते थे। हर बच्चे की तरह उनकी भी काफी डिमांड होती थी, लेकिन परिवार में पैसों की तंगी के चलते उनके पिता उन्हें कभी किसी चीज के लिए मना नहीं करते थे। सचिन ने अपनी किताब में एक ऐसी ही घटना का जिक्र किया है, जिसे वो आज तक कभी भी नहीं भूल सके है।
”बचपन में हर लड़के की तरह मुझे भी नई साईकिल लेने की जिद थी, लेकिन मेरे पिता (रमेश तेंदुलकर, मराठी कवि) इस बात को टाल बैठे थे। बार-बार इसे टलता देख मैं (सचिन) एक दिन काफी नाराज हो गया और मैंने ये जिद ठान ली कि जब तक साइकिल नहीं मिलेगी मैं बाहर खेलने नहीं जाउंगा। बालकनी में खड़े होकर मैं अपने दोस्तों को साइकिल चलाता देखता था, इसी बीच एक दिन मेरा सिर बालकनी में लगी ग्रिल में फंस गया।”
इसके बाद उनके घरवालें काफी परेशान थे और उनके पिता ने इस घटना के बाद पैसे इक्ट्ठा कर उन्हें नई साइकिल दिलाई। लेकिन नई साइकिल के बाद उनका एक एक्सीडेंट हुआ और उनके पिता ने कहा कि जब तक वो पूरे ठीक नहीं होते वो बाहर खेलने नहीं जाएंगे।