Monday, April 29, 2024

बेल पेड़ से जुड़ी इन गलतियों को करने से रुष्ट हो जाएंगे शिव, जान लें जरूरी नियम और महत्व…..

हिंदू धर्म में बेल के पेड़ का विशेष महत्व होता है. तुलसी, पीपल, केला आदि की तरह ही शास्त्रों में बेल के पेड़ को भी महत्वपूर्ण माना गया है. विशेषकर भगवान शिव की पूजा में बेल पेड़ की लकड़ियां, पत्ते, फूल और फल का इस्तेमाल किया जाता है.

धार्मिक ग्रंथों में भगवान शिव का जितना महत्व बताया गया है, उतना ही बखान बेल के पेड़ का भी किया गया है. मान्यता है कि बेल वृक्ष में भगवान शिव, माता पार्वती, लक्ष्मी जी समेत कई देवी-देवताओं का वास होता है.

आमतौर पर पूजा-पाठ में किसी वृक्ष के फूल या फल का प्रयोग होता है. लेकिन बेल ऐसा वृक्ष है, जिसकी पत्तियां भी पूजा के लिए पवित्र और महत्वपूर्ण मानी जाती है. शिवपुराण में इसे दिव्य वृक्ष बताया गया है. शिवजी को बेलपत्र अतिप्रिय है. इसलिए शिवजी से संबंधित सभी पूजा में बेलपत्र जरूर चढ़ाए जाते हैं. ऐसे में आपको बेल वृक्ष से जुड़ी इन महत्वपूर्ण बातों को जरूर जानना चाहिए.

कभी न करें बेल वृक्ष से जुड़ी ये गलतियां

शिवपुराण में बताया गया है कि, सोमवार के दिन कभी भी बेल के पत्ते, टहनी या डाली आदि नहीं तोड़ने चाहिए. यदि आपको सोमवार के दिन पूजा में बेलपत्र चढ़ाना है तो एक दिन पूर्व ही इसे तोड़कर रख लें.

सोमवार के साथ ही चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या और संक्रांति के दिन भी बेल पत्र नहीं तोड़ना चाहिए.
कभी भी बेल वृक्ष को काटना नहीं चाहिए. कहा जाता है कि बेल के पेड़ को काटने से व्यक्ति कई दुखों से घिर जाता है और वंश का नाश होने लगता है.

बेल वृक्ष का महत्व

धार्मिक मान्यता है कि, बेल पेड़ की उत्पत्ति मां पार्वती के पसीने से हुई है. कहा जाता है कि, इसके जड़ में गिरजा, तनों में माहेश्वरी, शाखाओं में दक्षिणायनी, पत्तियों में मां पार्वती, फलों में कात्यानी, फूलों में गौरी और बेल के समस्त पेड़ में मां लक्ष्मी जी निवास करती हैं. मां पार्वती के पसीने से उत्पन्न होने के कारण मां सभी रूपों में इस पेड़ में वास करती हैं.

शिवपुराण में बताया गया है कि, अगर किसी मृतक के शव को बेल की छाया से होते हुए ले जाया जाए तो उसे मोक्ष और शिवलोक की प्राप्ति होती है.

पितरों को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करने और पितृदोष से मुक्ति के लिए भी बेल पेड़ को महत्वपूर्ण माना गया है. नियमित रूप से इसमें जल चढ़ाने से पितृदोष दूर हो जाता है.

वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के उत्तर-पश्चिम दिशा में बेल का पेड़ लगाने से यश की प्राप्ति होती है और घर सुख-सौभाग्य से भरा रहता है.

बिल्वाष्टक स्तोत्र के अनुसार “दर्शनं बिल्ववृक्षस्य स्पर्शनं पापनाशनम्, अघोरपापसंहारं एक बिल्वं शिवार्पणम्”, यानी बेल पेड़ के स्पर्श और दर्शन मात्र से ही व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है. शिव को चढ़ाए गए एक बेलपत्र से अघोर पापों का नाश हो जाता है.

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