Saturday, May 4, 2024

साईं बाबा का वो चमत्कारी धाम, जहां कदम रखते ही दूर हो जाते हैं सारे कष्ट, खुशियों से भर जाती है झोली….

साईं बाबा का शिरडी धाम किसी पहचान का मोहताज नहीं है. जो भी भक्त दुख और पेरशानियों में घिरे होते हैं वह बाबा के दर पर हाजिरी लगाने मात्र से खुशियों को पा जाते हैं. शिरडी में साईं बाबा के दर्शन से ही उनके दुख दूर हो जाते हैं. यही वजह है कि शिरडी धाम में हर दिन लाखों श्रद्धालु बाबा की एक झलक पाने के लिए खिंचे चले जाते हैं.साईं बाबा ने अपना पूरा जीवन फकीर बनकर गुजारते हुए जन कल्याण में लगा दिया था. अगर कोई कष्ट में होता था तो बाबा खुद भी दुखी हो उठते थे. अपने भक्तों का दुख उनसे देखा नहीं जाता था. बाबा भले ही आज सशरीर संसार में मौजूद नहीं हैं लेकिन शिरडी धाम में उनकी महिमा आज भी उतनी ही है.

साईं बाबा को उनके भक्त भगवान का ही रूप मानते हैं. हालांकि उनके धर्म को लेकर हमेशा ही बहस छिड़ी रहती है. कोई उनको हिंदू को कोई मुस्लिम कहता है. यही वजह है कि सभी धर्मों के लोगों की आस्था साईं बाबा में है. उनके जन्म को लेकर कोई भी सटीक जानकारी अब तक सामने नहीं आ सकी है. लेकिन कहा जाता है कि उनका जन्म महाराष्ट्र के शिरडी गांव में हुआ था. जहां आज उनका भव्य मंदिर बना हुआ है. आज श्रद्वालुओं की भारी भीड़ बाबा के दर्शन के लिए शिरडी धाम पहुंचती है.

शिरडी की पवित्र धूनी
शिरडी धाम में आज भी साईं बाबा की धूनी जलती रहती है. अगर कोई भक्त किसी भी तरह की परेशानी में है तो बाबा की धूनी लगाने से कष्ट दूर हो जाते हैं. इसीलिए साईं बाबा की धूनी को बहुत ही पवित्र माना गया है. ऐसा कहा जाता है कि बाबा 1858 में शिरडी में रहने आए थे. उस दौरान वह एक मस्जिद में रहते थे. जिसका नाम द्वारका माई था. तब से वहां धूनी चल रही है. इसे बहुत ही चमत्कारी माना जाता है. शिरडी धाम से श्रद्धालु बाबा की धूनी को अपने साथ ले जाते हैं.

चमत्कारी नीम का पेड़
साईं के शिरडी धाम में एक नीम का पेड़ मौजूद है. यह वही पेड़ है जिसके नीचे साईं बाबा बैठा करते थे. बाबा के चमत्कार की वजह से ही नीम की कड़वी पत्तियों में मिठास आ गई थी. शिरडी पहुंचने वाले भक्ति इस पेड़ की पत्तियां पाने के लिए बहुत उत्साहित रहते हैं. हालांकि अब इस पेड़ को सुरक्षा घेरे में रखा गया है ताकि कोई इसे नुकसान न पहुंचा सके.

‘सबका मालिक एक’
साईं का शिरडी धाम सिर्फ चमत्कारों के लिए ही नहीं जाना जाता है बल्कि यह मंदिर दुनिया के सबसे अमीर मंदिरों में गिना जाता है. मंदिर में एक बड़े से हॉल में साईं बाबा की समाधि बनी हुई है. कहा जाता है कि शरीर त्यागने के बाद इसी जगह पर साईं बाबा को दफनाया गया था. जो भी भक्त उनकी समाधि के दर्शन करता है बाबा उसकी झोली खुशियों से भर देते हैं. गुरुवार के दिन शरडी में साईं बाबा की पालकी निकलती है. इसमें शामिल होने वालों के बिगड़े हुए काम भी बन जाते हैं.साईं बाबा का संदेश है कि ‘सबका मालिक एक’

बाबा खुशियों से भर देते हैं झोली
माना जाता है कि जो भी भक्त साईं बाबा के दरबार में अपनी अर्जी लेकर पहुंचता है बाबा उसकी हर मुराद को पूरा करते हैं और उसकी झोली को खुशियों से भर देते हैं. साईं धाम में बाबा की आरती दिनभर में 5 बार होती है, जो कि भूपाली, काकड़,मध्यान, धूप और सेज आरती हैं. गुरुवार के दिन साईं बाबा के दर्शन का अलग ही महत्व है.

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