Thursday, April 25, 2024

होली के बाद प्रकृति में बदलाव आता है, इसलिए आयुर्वेद के अनुसार खान-पान में बदलाव जरूरी माना जाता है…

फगनी पूनम 6 और 7 मार्च को पड़ती है, इस तिथि पर चन्द्रमा का विशेष प्रभाव देखने को मिलता है, साथ ही बसंत ऋतु की शुरुआत भी होती है, इसलिए इस दिन से प्रकृति में भी बड़े बदलाव महसूस किए जाते हैं। इसी वजह से आयुर्वेद और शास्त्रों में इस दिन से ही आहार और दिनचर्या में बदलाव की सलाह दी गई है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार फागन मास में चंद्रमा का जन्म हुआ था, इसलिए इस मास में चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है, फागण मास में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। इस माह की पूनम के दिन से खान-पान और जीवनशैली में बदलाव करना चाहिए। इस महीने में अनाज का सेवन कम और फलों का सेवन अधिक करना चाहिए।

फागनी पूनम से बदलनी चाहिए दिनचर्या:आयुर्वेद के जानकारों के अनुसार फागण मास की पूनम पर बसंत ऋतु का प्रभाव अधिक देखा जाता है। इसलिए इस दिन से खान-पान में बदलाव करना चाहिए। दिन में न सोयें।
हल्का और आसानी से पचने वाला भोजन करना चाहिए। भोजन में फलों का अधिक प्रयोग करना चाहिए। साथ ही नए अनाज के प्रयोग से बचना चाहिए और पुराने अनाज का प्रयोग करना चाहिए।

फगनी पूनम का अर्थ है:बसंत की पूर्णिमा। इस ऋतु में प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआत होती है। वहीं पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी सोलह दृष्टियों से देखा जाता है। इस तिथि का स्वामी चन्द्रमा है अत: चन्द्र का प्रभाव भी बढ़ता है.
चंद्रमा अपनी किरणों से प्रकृति में अधिक सकारात्मक बदलाव लाता है। चंद्र और वसंत के प्रभाव से यह दिन प्रकृति में उत्साह बढ़ाता है।

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