शनि देव पसंदीदा राशियां: शनि देव को न्याय का देवता और कर्मफल देने वाला कहा जाता है। वह मनुष्य को उसके कर्मों के अनुसार फल देता है। शनि बहुत धीमी गति से चलता है और एक राशि से दूसरी राशि में जाने में ढाई वर्ष का समय लेता है। अर्थात वह एक राशि में लगभग ढाई वर्ष तक रहता है। इसी बीच यदि वह किसी की कुंडली में शुभ स्थिति में हो तो उसे अपार सुख की प्राप्ति होती है। वहीं दूसरी ओर अशुभ स्थान में होना जीवन में मुश्किलों का पहाड़ खड़ा कर देता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुछ राशियाँ ऐसी होती हैं जिन पर शनि देव की कृपा बनी रहती है।
शनि की तीन राशियाँ सबसे प्रिय मानी जाती हैं। इस राशि में मकर, कुम्भ और तुला राशि है। शनिदेव को इन राशियों का स्वामी कहा जाता है। वहीं तुला राशि शनि की उच्च राशि मानी जाती है।
इसके अलावा मीन और धनु राशि पर भी शनि की विशेष कृपा है। इन दोनों राशियों के स्वामी देवगुरु बृहस्पति शनि के मित्र हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि की स्थिति मकर, कुम्भ और तुला राशि के लिए उतनी कष्टदायक नहीं है, जितनी अन्य राशियों के लिए है।
तुला राशि शनि की प्रिय राशियों में से एक है। शनि तुला राशि में उच्च का होता है। इस राशि के जातकों पर इनकी हमेशा कृपा दृष्टि बनी रहती है। इन लोगों को शनिदेव की कृपा से हर तरह का सुख प्राप्त होता है।
शनि को भी मकर राशि बहुत प्रिय है। इस राशि के स्वामी शनि हैं। जब शनि मकर राशि की शुभ स्थिति में होता है तो इन लोगों को अपने कार्यक्षेत्र में अच्छी सफलता मिलती है।
कुम्भ राशि का स्वामी भी शनि है। शनि की विशेष कृपा से कुंभ राशि के जातकों को जीवन में कभी भी धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है। इन लोगों को कम मेहनत में भी सफलता मिल जाती है। (अस्वीकरण: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और ज्ञान पर आधारित है। ZEE 24 KALAK इसका समर्थन नहीं करता है।)