ईश्वर की पूजा में भोग के साथ ही जल का अपना महत्व है.हमारे घरों में भी पूजा घर में जल का लोटा जरूर रखा जाता है. वहीं बड़े बुजुर्ग हमेशा कहते हैं कि पूजाघर में जल का लोटा रखा या नहीं. दरअसल इसके पीछे कई कारण बताए जाते हैं.किसी भी मांगलिक कार्य में जल को रखना पवित्र माना जाता है. शास्त्रों में जल को अमृत समान माना गया है.यह धन वैभव का भी प्रतीक है. तभी पूजा की दूसरी सामग्री के साथ ही जल का लोटा भी स्थापित किया जाता है.
भगवान को भोग के साथ ही जल समर्पित करना भी जरूरी होता है. तभी भोग को पूर्ण माना जाता है.वहीं शास्त्रों में कहा गया है कि जल का लोटा रखने से घर में सुख-समृद्धि आती है. अगर जल को तांबे को लोटे में भरकर रखा गया है तो ये और भी शुभ होता है. इसे मनोकामना पूर्ति से भी जोड़कर देखा जाता है. आखिर पूजाघर में जल रखना क्यों है जरूरी जानें जहां.
पूजा में क्यों रखा जाता है जल?
पूजा की जगह पर ताांबे के लोटे में रखा हुआ जल घर की नेगेटिविटी को दूर करता है और पॉजिटिव ऊर्जा का संचार करता है. घर में तरक्की के लिए भी जल को मंदिर में रखना शुभ माना जाता है. साथ ही जल को शुद्धता का प्रतीक माना जाता है जो कि आसपास फैली अशुद्धियों को भी दूर करता है. जल के लोटे को हमेशा ईशान कोण में रखा जाना चाहिए.
वरुणदेव की स्थापना
जल को वरुण देव के रूप में पूजा जाता है. पूजा में वरुण देव की स्थापना करने के लिए जल के कलश को स्थापित किया जाता है. यज्ञ आदि में दल के कलश की स्थापना का खास महत्व होता है. इसीलिए जल में तुलसी या आम के पत्ते डालकर रखा जाता है, ऐसा करने से जल पवित्र हो जाता है.
आचमन करना जरूरी
कोई भी पूजा-आरती बिना आचमन के अधूरी मानी जाती है.इसीलिए मंदिर में जल का लोटा रखा जाता है. जिससे आरती संपन्न होने के बाद जल से आचमन किया जा सके.पूजा छोड़कर बीच में न जाना पड़े और वहां रखे जल से ही पूजा संपन्न हो सके.
जल में क्यों डालें तुलसी दल
पूजा के लिए रखे गए जल में तुलसी दल डालकर रखना चाहिए. ऐसा करने से जल ज्यादा पवित्र माना जाता है. जल के लोटे में पवित्र नदियों का जल भी मिलाया जा सकता है.इसे घर में छिड़कने से नेगेटिव एनर्जी दूर भाग जाती है और सकारात्मकता आती है.