Wednesday, May 15, 2024

सलीम ने प्रेमिका अनारकली और पत्नी साहेब जमाल को एक ही जगह क्यों दफनाया…

इतिहास में जब प्रेम के किस्सों की बात होती है तो रोमियो-जूलियट, हीर-रांझा और लैला-मजनू के साथ सलीम-अनारकली का जिक्र भी होता है. वो अनारकली जिसका नाम नादिरा बेगम था. कई इतिहासकार उसे शर्फुन्निसा के नाम से जानते हैं. जो ईरान कारोबारियों के साथ लाहौर पहुंची थी. लाहौर में आते ही उसकी खूबसूरती के चर्चे आम हो चले थे. उड़ते हुए यह खबर बादशाह अकबर तक पहुंची. उन्होंने नादिरा को दरबार में पेश होने को कहा.

नादिरा को नृत्य करने खास शौक था, उसका यही शौक अकबर को भा गया. बादशाह को उसका यह अंदाज इतना भाया कि उसे अपनी सल्तनत में रहने का हुक्म दे दिया. और नाम दिया अनारकली. इसके साथ ही अपनी सबसे खास कनीज होने का ओहदा भी दिया.

कहा जाता है कि जिस दिन से अकबर ने उसे देखा था वो अनारकली के साथ अधिक समय बिताने लगे. यह बात उनकी तीनों रानियों को नागवार गुजरी और अनारकली को रास्ते से हटाने के लिए षडयंत्र रचे जाने लगे.

कब पर दर्ज 1599 अंक का मतलब
अनारकली अकबर की कनीज बनी और उन दोनों से हुए बेटे का नाम रखा गया दानियाल. अकबर की कनीज होने के बाद बेटे सलीम के साथ उसके इश्क के चर्चे सल्तनत में फैलने लगे. पाकिस्तानी अखबार डॉन की एक रिपोर्ट में ब्रिटिश टूरिस्ट विलियम फिंच कहते हैं, अनारकली अकबर की पत्नियों में से एक थी, लेकिन जब बादशाह को पता चला कि शहजादा सलीम यानी जहांगीर को उससे इश्क है तो वो बेहद खफा हुए.

दोनों को रोकने के लिए तमाम कोशिशें हुईं. जब इनमें अकबर नाकाम हुए तो अनारकली को दीवार में चुनवाने का हुक्म दिया. किताब ‘तारीख-ए-लाहौर’ में सैयद अब्दुल लतीफ लिखते हैं कि अनारकली की कब्र पर 1599 अंक दर्ज है, यह अंक उसकी मौत का साल है.

शहजादे ने कब्र पर बनवाया था मकबरा
सलीम और अनारकली से जुड़ी कई दिलचस्पी जानकारियां जहांगीर की आत्मकथा में मिलती है. तुजुक-ए-जहांगीरी में लिखा है कि लाहौर में एक मकबरा है जिसे अनारकली मकबरा के नाम जाना जाता है. कहा जाता है कि जहांगीर ने मकबरे का निर्माण अनारकली को खोने के बाद उसकी याद में कराया था. जिसने सलीम की प्रेम कहानी पर मुहर लगाने का काम किया.

18वीं शताब्दी के इतिहासकार अब्दुल्ला चगताई लिखते हैं कि जिस मकबरे में अनारकली को दफनाया गया था, उसी कब्र के पास ही जहांगीर ने अपनी बेगम साहेब जमाल की कब्र भी बनवाई. इसकी भी एक खास वजह थी. दरअसल, अनारकली के बाद जहांगीर को सबसे ज्यादा प्यार पत्नी साहेब जमाल से हुआ था. यही वजह थी कि उसने मौत के बाद बेगम की कब्र अनारकली की कब्र के पास बनवाई.

लाहौर में महाराजा रणजीत सिंह के शासनकाल में वो मकबरा उनके सेना के जनरल का आवास बन गया. पंजाब में ब्रिटिश शासन लागू होने के बाद उस मकबरे को चर्च में तब्दील कर दिया गया. 1891 में इसे सरकारी ऑफिस बनाया गया, इतने बदलाव से गुजरने के बाद भी इसे अनारकली की याद बने में मकबरे के तौर पर ही जाना गया.

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