गोल्ड सदियों से खरीदा जा रहा है. देश और देश में रहने वाले लोग गोल्ड खरीदना पसंद करते हैं. भारतीयों को तो गोल्ड खरीदना कुछ ज्यादा ही पसंद है. इसलिए भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गोल्ड इंपोर्टर है. वैसे इससे देश के इंपोर्ट बिल में इजाफा होता है, लेकिन गोल्ड परिवार और देश के लिए ऐसा असेट है जिसकी वैल्यू में लगातार इजाफा होता है. जिस तरह से किसी भी परिवार के बुरे दौर में घर में रखा सोना या गोल्ड काम आता है. वैसे ही देश के लिए भी गोल्ड एवं सोना भी काम आता है. खासकर महंगाई और मंदी के दौर में भारत जैसे देशों के लिए यह किसी सुरक्षा कवच से कम नहीं है.
बीते एक साल में भारत ने गोल्ड खरीदने में कोई कोताही नहीं बरती है. टॉप के गोल्ड रिजर्व देशों में से सिर्फ पांच देशों ने ही गोल्ड रिजर्व में इजाफा किया है. जिसमें भारत का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है. अब देश में गोल्ड रिजर्व 800 मिलियन टन के करीब पास हो गया है. बीते कुछ सालों में भारतीय रिजर्व बैंक गोल्ड को लगातार खरीद रहा है. सवाल यही है आखिर क्यों आरबीआई ऐसा कर रहा है? खासकर कोविड काल से आरबीआई ने गोल्ड को खरीदना क्यों शुरू कर दिया है? दुनिया में किसके पास गोल्ड रिजर्च है और भारत इसमें कौन सी पॉजिशन में है? इन तमाम सवालों का जवाब खोजने का प्रयास करते हैं.
भारत के खजाने में गोल्ड रिजर्व
आरबीआई की हाफ ईयरली एक रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत का गोल्ड रिजर्व लगभग 5 फीसदी बढ़कर 794.64 मीट्रिक टन हो गया. गोल्ड रिजर्व भारत के ओवरऑल फॉरेक्स रिजर्व का ऐ हिस्सा है. जिसमें फॉरेन करेंसी असेट्स, स्पेशल ड्रॉइंग राइट, आईएमएफ में रिजर्व गोल्ड शामिल है. वित्त वर्ष 2023 में आरबीआई ने वित्त वर्ष 2022 के 65.11 टन की तुलना में 34.22 टन सोना खरीदा और वित्त वर्ष 2019 से वित्त वर्ष 2021 तक आरबीआई के गोल्ड रिजर्व में 228.41 टन की बढ़ोतरी हुई.
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के क्षेत्रीय सीईओ ने कहा कि आरबीआई दुनिया के टॉप पांच केंद्रीय बैंकों में से एक है जो मौजूदा समय में लगातार गोल्ड खरीद रहा है. भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, भारत के पास विदेशों में बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स के पास 437.22 टन सोना और डॉमेस्टिक लेवल पर 301.10 टन सोना है. 31 मार्च, 2023 तक, भारत का कुल विदेशी मुद्रा भंडार $578.449 बिलियन था, जिसमें सोने का भंडार 45.2 बिलियन डॉलर था. मार्च 2023 के अंत तक भारत के कुल विदेशी मुद्रा भंडार में सोने का रेश्यो बढ़कर लगभग 7.81 फीसदी हो गया.
आरबीआई सोना क्यों खरीद रहा है?
जब आरबीआई के पास विदेशी मुद्रा भंडार है, तो वह उन्हें ब्याज के रूप में कमाई करने के लिए अमेरिकी सरकार के बॉन्ड में निवेश करता है. हालांकि, अमेरिका में बढ़ती महंगाई के कारण इन बांडों पर ब्याज दर नेगेटिव हो गया है. वास्तविक ब्याज दर मुद्रास्फीति को ध्यान में रखती है और इसकी गणना मामूली ब्याज माइनस मुद्रास्फीति दर के रूप में की जाती है. महंगाई के दौरान, गोल्ड डिमांड आम तौर पर बढ़ जाती है, और एक गोल्ड होल्डर के रूप में, आरबीआई स्ट्रेस्ड इकोनॉमिक सिचुएशसन में में भी अच्छा रिटर्न कमा सकता है.
गोल्ड को जियो पॉलिटिकल टेंशन के बीच एक बेहतर असेट माना जाता है. इसका कारण भी है. अमेरिका और चीन के बीच तनाव और रूस—यूक्रेन वॉर की वजह से रूस और चीन जैसे देशों में डॉलर को स्वीका नहीं कर रहे हैं. जिसके वजह से डॉलर में गिरावइ देखने को मिलती है. इस सिनेरियो में आरबीआई को डॉलर के करीब जाने पर नुकसान होगा. ऐसे सिनेरियो में डॉलर पर बने रहने से आरबीआई को नुकसान होगा. वैसे गोल्ड अपनी खुद की वैल्यू और लिमिटेड सप्लाई की वजह से गोल्ड दूसरे करेंसी की तुलना में अपने मूल्य को लंबे समय तक बनाए रख सकता है.
इसके अलावा, सोने के साथ विदेशी मुद्रा भंडार को डायवर्सिफाइंग बनाना फायदेमंद होता है. यह एक सेफ, ज्यादा सिक्योर और लिक्विड असेट है जो संकट के समय में अच्छा प्रदर्शन करती है. सोने की एक ट्रांसपेरेंट इंटरनेशनल प्राइस है और कभी भी किसी भी समय इसका कारोबार किया जा सकता है.
इकोनॉमी में सोने की भूमिका
20वीं शताब्दी के अधिकांश समय के लिए, गोल्ड विश्व की रिजर्व करेंसी के रूप में कार्य करता था. संयुक्त राज्य अमेरिका ने 1971 तक गोल्ड स्टैंडर्ड का उपयोग किया. पेपर मनी को सपोर्ट करने के लिए उनके पास सोने के बराबर भंडार होना जरूरी था. अमेरिकी डॉलर और दूसरी करेंसी में अस्थिरता के कारण, कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि भले ही इसे बंद कर दिया गया हो, हमें सोने स्टैंडर्ड पर लौटना चाहिए.
इसके अपनी खुद की वैल्यू और कम सप्लाई की वजह से महंगाई के दौर में गोल्ड की डिमांड में तेजी देखने को मिलती है. गोल्ड करेंसी के दूसरे फॉर्म की तुलना में अपनी वैल्यू को अधिक समय तक यहां तक की बढ़ाने में भी सक्षम है क्योंकि इसे डायल्यूट नहीं किया जा सकता. किसी देश की करेंसी की वैल्यू तब गिरावट देखने को मिलती है जब वह देश एक्सपोर्ट से ज्यादा इंपोर्ट करती है. एक देश जो नेट एक्सपोर्टर है, उसकी करेंसी में लगातार इजाफा देखने को मिलता है.
वहीं जो देश गोल्ड को एक्सपोर्ट करता है या जिसका गोल्ड रिजर्व पर कब्जा है सोने की कीमतों में इजाफा होने पर उसकी करेंसी में तेजी देखने को मिलती है. चूंकि केंद्रीय बैंक सोना खरीदने के लिए अधिक कैश छापने पर निर्भर करते हैं, इसलिए वे करेंसी की एक्सट्रा सप्लाई करते हैं. इससे सप्लाई बढ़ जाती है और इस तरह इसे खरीदने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली करेंसी की वैल्यू का कम हो जाता है.
भारत के साथ किन देशों ने बढ़ाया गोल्ड रिजर्व
भारत दुनिया के उन पांच देशों में शामिल है, जिसने गोल्ड रिजर्व में इजाफा किया है. वित्त वर्ष 2022-23 में भारत के पास गोल्ड रिजर्व 794.64 टन था. जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में गोल्ड रिजर्व में 34 टन से ज्यादा का इजाफा देखने को मिला है.
रूस ने भी अपने गोल्ड रिजर्व में भी इजाफा किया है और एक साल में 38 टन का इजाफा किया है. 31 मार्च तक रूस के पास 2337 टन और उससे एक साल पहले तक 2299 टन था.
चीन भी इस फेरिस्त में शालिल हैं, जिसने अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक 57 टन का इजाफा किया है. मार्च 2023 तक गोल्ड रिजर्व 2068 टन था जो एक साल पहले मार्च 2022 में गोल्ड रिजर्व 2011 टन देखने को मिला.
तुर्की जैसे यूरोपीय देश ने भी अपने गोल्ड रिजर्व को बढ़ाने में तेजी दिखाई है. एक साल में 30 टन का इजाफा किया है. मार्च 2023 तक 572 टन और मार्च 2022 में यही डेटा 572 टन देखने को मिला था.
यूरो एरिया ने भी अपने गोल्ड रिचर्व ने तेजी दिखाई है. मार्च 2022 से मार्च 2023 के बीच इसमें 2 टन का इजाफा देखने को मिलेगा. मार्च 2023 तक गोल्ड रिजर्व 507 था जबकि मार्च 2022 तक 505 टन देखने को मिला था.
यूएस, फ्रांस, जर्मनी जैसे पांच देशों ने नहीं बढ़ाया रिजर्व
अमेरिका के पास दुनिया का सबसे बड़ा गोल्ड रिजर्व है, लेकि एक साल में कोई इजाफा देखने को नहीं मिला है. पिछले साल से अब तक गोल्ड रिजर्व 8133 टन है.
जमर्नी के पास दुनिया का सबसे बड़ा गोल्ड रिजर्व है. लेकिन एक साल में कोई इजाफा नहीं हुआ है. ऐसे में मार्च 2023 तक इसके पास 3355 टन गोल्ड रिजर्व है.
इटली ने भी गोल्ड रिजर्व में कोई इजाफा नहीं किया है और मार्च 2023 में 2452 टन गोल्ड रिजर्व है.
फ्रांस उन देशों की फेहरिस्त में शामिल है, जिन्होंने खजाने में गोल्ड का इजाफा नहीं किया. मार्च 2023 में गोल्ड रिजर्व 2437 टन था.
स्विट्जरलैंड ने भी अपने गोल्ड रिजर्व में इजाफा नहीं किया है और मार्च 2023 तक गोल्ड रिजर्व 1040 टन है.
जापान गोल्ड रिजर्व भी एक साल से स्टेबल है यानी कोई बदलाव नहीं हुआ है. मार्च 2023 में गोल्ड रिजर्व 846 टन था.
नीदरलैंड के गोल्ड रिजर्व में कोई बढ़ोतरी नहीं की है. मार्च 2023 में देश के पास गोल्ड रिजर्व 612 टन देखने को मिली है.