जुलाई में बारिश की बूंदे मई-जून की तपती गर्मी से राहत दिलाती हैं. इस महीने का सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है. जुलाई महीने का आरंभ जहां आषाढ़ माह में हुआ है, वहीं इसका अंत सावन महीने के तहत होगा. धार्मिक दृष्टि से भी जुलाई के महीने का विशेष महत्व है. इस महीने में अनेक व्रत और त्योहार मनाए जाएंगे. जानते हैं इसके बारे में.
धार्मिक दृष्टि से क्यों महत्वपूर्ण है जुलाई का महीना
जुलाई में मौसम बहुत सुहावना हो जाता है और हरियाली प्रकृति की सुंदरता में चार चांद लगा देती है. सनातन धर्म में इस माह को विशेष स्थान प्राप्त है. इस माह में एक के बाद एक कई व्रत और त्यौहार आते हैं जैसे गुरु पूर्णिमा, कर्क संक्रांति, पद्मिनी एकादशी आदि. आषाढ़ महीने की समाप्ति 03 जुलाई को होगी और इसके बाद सावन की शुरुआत हो जाएगी.
भगवान शिव का प्रिय महीना सावन
भगवान शिव के भक्तों को सावन के महीने का साल भर इंतजार रहता है. इस माह को देवों के देव महादेव का प्रिय माह माना गया है. शिव जी की आराधना के लिए सावन का महीना उत्तम माना गया है. मान्यताओं के अनुसार है कि जो भी भक्त सावन में नियमित रूप से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं और सावन में पड़ने वाले हर सोमवार का व्रत करते हैं, उनकी हर मनोकामना पूरी होती है.
सावन का महीना है खास
इस साल सावन का महीना कई मायनों से बेहद खास होने वाला है. इस बार आपके पास शिव जी को प्रसन्न करने के लिए पूरे दो माह का समय होगा. अधिक मास की वजह से इस बार सावन महीने की शुरुआत 04 जुलाई को होगी और समापन 31 अगस्त 2023 को होगा. भोलेशंकर के भक्त उन्हें पूरे 59 दिनों तक प्रसन्न करने के उपाय कर सकते हैं.
इस बार सावन में पड़ने वाले सावन सोमवार के व्रतों की संख्या 8 होगी और ऐसे में, भक्त शिवजी की कृपा प्राप्त करने के लिए 8 सावन सोमवार के व्रत रख सकेंगे. वैदिक पंचांग के अनुसार चंद्र वर्ष में 354 और सौर वर्ष में 365 दिन होते हैं. इन दोनों के बीच 11 दिनों का अंतर देखने को मिलता है और हर तीन साल के अंतरा पर पड़ने से यह अंतर 33 दिनों का हो जाता है.