फागण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी यानी संकट छौथ शनिवार को है। इस दिन गणेश जी का व्रत किया जाता है। शनिवार को चतुर्थी होने के कारण यह दिन गणेश, महालक्ष्मी और शुक्र की पूजा के लिए शुभ है।
ज्योतिषाचार्य मनीष शर्मा के अनुसार चतुर्थी का कारक ग्रह शुक्र है। इस दिन मां लक्ष्मी की भी विशेष रूप से पूजा की जाती है। चतुर्थी योग के साथ ही इस दिन गणेश, लक्ष्मी और शुक्र की विशेष पूजा भी करनी चाहिए। जानिए कैसे करें गणेश, महालक्ष्मी और शुक्र की पूजा…
चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की मूर्ति को जल, दूध और पंचामृत से स्नान कराएं। दूध, दही, घी, मिसो और शहद मिलाकर पंचामृत बनाएं। गणेशजी को जनोई का रूप पहनाएं। अबील, गुलाल, चंदन, सिंदूर का लेप और दूर्वा आदि अर्पित करें।
इसके बाद गणेश जी को वस्त्र अर्पित करें और उन्हें फूलों से सजाएं, लड्डू चढ़ाएं, कपूर की आरती उतारें, पूजा करने के बाद गणेश जी से अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा मांगें। इसके बाद प्रसाद देकर स्वयं ग्रहण करें।
महालक्ष्मी की पूजा: महालक्ष्मी के साथ विष्णुजी की पूजा करनी चाहिए। विष्णु-लक्ष्मी की मूर्ति का अभिषेक करें। नए पीले वस्त्र अर्पित करें, माला और फूलों से सजाएं। मिठाई को तुलसी से गार्निश करें। धूप-दीप जलाकर आरती करें और ૐ नमो भगवत वासुदेवाय मंत्र का जाप करें।
शिवलिंग के रूप में करें शुक्र की पूजा:शुक्र की पूजा शिवलिंग के रूप में की जाती है। अत: शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं, इसके लिए आप चांदी के कलश का प्रयोग करें तो बेहतर होगा। इसके बाद पानी डालें। शिवलिंग को सफेद फूल और बिल्व अक्षर से सजाएं। साथ ही धतूरे और मूर्ति के फूल अर्पित करें। धूप-दीप जलाकर आरती करें। ॐ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। साथ ही शुक्र ग्रह के लिए दूध का दान करें।