Thursday, April 25, 2024

क्रोध काम लोभ का त्याग ही बच्चे के उज्जवल भविष्य की नींव है…

चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य ने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए कुछ ऐसी बातों का जिक्र किया है जिनसे छात्रों को हमेशा दूर रहना चाहिए। हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा सभ्य बने क्योंकि एक संवेदनशील और सभ्य बच्चा न केवल उनका भविष्य उज्ज्वल करता है बल्कि उनके माता-पिता का सिर भी गर्व से ऊंचा कर देता है। लेकिन बच्चे को गुणी और योग्य बनाने के लिए बेहतर संस्कार के साथ-साथ उच्च शिक्षा भी जरूरी है। चाणक्यनीति में आचार्य चाणक्य ने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए सात बातों का जिक्र किया है जिनसे छात्रों को हमेशा दूर रहना चाहिए। जानिए उन बातों के बारे में।

क्रोध: क्रोध किसी भी व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु होता है। क्योंकि इससे सबसे ज्यादा नुकसान गुस्सा करने वाले को ही होता है। क्रोध के समय कोई भी व्यक्ति सही निर्णय नहीं ले पाता है क्योंकि उस अवस्था में वह किसी भी चीज को पूर्ण रूप से नहीं देख पाता है। इसलिए क्रोध से हमेशा दूर रहना चाहिए।

वासना : जो विद्यार्थी अपने भविष्य को उज्जवल बनाना चाहता है उसे वासना और कर्म से दूर रहना चाहिए। इसमें गिरने के बाद मन लगातार भटकता रहता है। ऐसे छात्र पूरी लगन और ईमानदारी से पढ़ाई नहीं कर पाते हैं

संतुलित आहार छात्रों को हमेशा संतुलित और हल्का भोजन करना चाहिए। उसे खाने के स्वाद को ज्यादा महत्व नहीं देना चाहिए। छात्रों को एक तपस्वी की तरह भोजन करना चाहिए। संतुलित आहार खाने से उनका स्वास्थ्य अच्छा रहता है और पढ़ाई में बाधा नहीं आती।

श्रृंगार: अध्ययन करने वाले व्यक्ति को हमेशा विस्तृत श्रंगार और श्रृंगार से दूर रहना चाहिए। एक बार जब कोई छात्र उस समाधि में गिर जाता है, तो वह फैशन को नहीं छोड़ सकता। ऐसे में उनका मन पढ़ाई में नहीं लगता। इसलिए विद्यार्थी को हमेशा सादा जीवन व्यतीत करना चाहिए।

मनोरंजन
: मनोरंजन और खेल आवश्यक हैं लेकिन सीमित मात्रा में ही। अत्यधिक खेलकूद या मनोरंजन से विद्यार्थी का ध्यान भंग हो सकता है।

लोभ : कहा जाता है कि व्यक्ति को लोभ और लोभ का त्याग कर देना चाहिए। यह सिर्फ छात्रों के लिए ही नहीं बल्कि सभी लोगों के लिए जरूरी है। लोभी व्यक्ति अपने आप कुछ नहीं कर सकता। वह हमेशा धोखा देकर दूसरों की चीजें चुराने की कोशिश करता है। इसलिए कभी भी लालच नहीं करना चाहिए।

नींद: अच्छी पढ़ाई के लिए पर्याप्त नींद जरूरी है। छात्र जीवन में किसी भी छात्र को छह से सात घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए। ज्यादा नींद भी पढ़ाई में बाधा डालती है।

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