Saturday, April 27, 2024

गुजरात के इस मंदिर में कोई भी आपदा यहां तक ​​कि भूकंप और तूफान आने पर भी रामधुन चलती रहती है..

बाला हनुमान रंधून: गुजरात के जामनगर शहर की कई उपमाएँ हैं। जामनगर का अर्थ है गुजरात का पेरिस और धार्मिक रूप से जामनगर का अर्थ है छोटाकाशी। शहर विविधता से भरा है। जहां कई धार्मिक स्थल स्थित हैं। जिनमें से एक है बाला हनुमान मंदिर। जो जामनगर के बीचोबीच स्थित है। यह मंदिर अपनी निरंतर रामधुन के लिए प्रसिद्ध है। कैसी भी विपदा आ जाए इस मंदिर में अखंड रामधुन बजती रहती है। आज इस रामधुन को 59 साल हो गए हैं, भूकंप और तूफान में भी यहां की अक्षुण्ण धुनें नहीं थमी हैं।

कैसे शुरू हुई रामधुन: जामनगर के बाला हनुमान काफी मशहूर हैं। इस मंदिर की खास बात यह है कि जामनगर का बाला हनुमान मंदिर अखंड रामधुन के कारण पूरे देश में जाना जाता है। 1912 में बिहार के एक छोटे से गांव में जन्मे प्रेमभिक्षुक महाराज ने इस मंदिर की स्थापना की थी। उन्होंने युवावस्था में ही भगवा को अपना लिया था। वह 1960 में जामनगर आए और झील के किनारे इस मंदिर का निर्माण किया। इस मंदिर में 1 अगस्त 1964 से मंदिर में अखंड रामधुन बजाई जाती है। ऐसी दृढ़ भक्ति से कि 2001 में पूरा गुजरात भूकम्प से दहल उठा और रामधुन को न रोका गया तो भी वीरानी हो गई, ऐसा नहीं हुआ।

दुनिया के सबसे अमीर परिवार के बेटे ने किया बाला हनुमान मंदिर में दर्शन, तस्वीरें

चाहे कितनी भी विपदा क्यों न आ जाए, इस मंदिर का जाप कभी नहीं रुकता। भूकंप, तूफान या कोरोना महामारी में भी मंदिर परिसर में लगातार रामधुन चलती रहती है। यह दुनिया का इकलौता मंदिर है, जहां इतने सालों तक रामधुन चलती है। कोरोना काल में भी श्रद्धालुओं को प्रवेश नहीं दिया गया, लेकिन रामधुन चलती रही।

बाला हनुमान मंदिर की स्थापना प्रेमभिक्षुजी महाराज ने 1963-64 में की थी। यहां पिछले 54 साल से अखंड रामधुन बजती आ रही है। जिसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी जगह मिली है। इस मंदिर के आकर्षण के केंद्र की बात करें तो यह धुन अक्सर प्रमुख त्योहारों पर बड़ी ऊर्जा के साथ गाई जाती है। इसलिए रात में इस धुन को सुनने से एक अनोखी शांति का एहसास होता है।

इन धुनों में भाग लेने वाले स्वयंसेवक इतने टाइट शेड्यूल का पालन करते हैं कि कभी भी धुन के टूटने की चिंता नहीं रहती। बाला हनुमान मंदिर यहां की प्रसिद्ध लखोटा झील या रणमल झील के पास स्थित है। इस मंदिर में 1 अगस्त 1964 से अखंड रामधुन चल रही है। ऐसी दृढ़ भक्ति से कि 2001 में पूरा गुजरात भूकम्प से दहल उठा और चाहे वह उजाड़ ही क्यों न गया हो, रामधुन बंद नहीं हुई।

यह मंदिर इतना प्रसिद्ध है कि कई मशहूर हस्तियां भी इस मंदिर के दर्शन कर चुकी हैं। इस मंदिर में दूर-दूर से लोग रामधुन सुनने आते हैं। यह रामधुन लोगों को बहुत शांति देती है।

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